सिर्फ कबूतर उडाने से शान्ति नहीं आने वाली है

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✒️संजय वर्मा-गोरखपूर,चौरा चौरी(प्रतिनिधी)मो:-9235885830

गोरखपूर(दि.22सप्टेंबर):-उक्त बातेंसृष्टि धर्मार्थ सेवा संस्थान के प्रबंधक संजू वर्मा ने अपने आवास सृष्टि रोड वार्ड नंबर 6 पर विश्व शांति दिवस के अवसर पर कही

विश्व शांति दिवस मुख्य रूप से पूरी पृथ्वी पर शांति और अहिंसा स्थापित करने के लिए मनाया जाता है। शांति सभी को प्यारी होती है। इसकी खोज में मनुष्य अपना अधिकांश जीवन न्यौछावर कर देता है। किंतु यह काफी निराशाजनक है कि आज इंसान दिन प्रतिदिन इस शांति से दूर होता जा रहा है। पृथ्वी, आकाश व सागर सभी अशांत हैं।
तभी इस साल विश्व शांति दिवस समारोह का थीम है जलवायु परिवर्तन को नियंत्रित … इस थीम का मकसद है दुनिया के लोगों को यह बताना कि शांति बनाए रखने के लिए जलवायु परिवर्तन को नियंत्रित करना बेहद जरूरी है जलवीयु में आए दिन हो रहे परिवर्तन विश्व की शांति और सुरक्षा के लिहाज से बेहद खतरनाक है…

विश्व शांति दिवस के उपलक्ष्य में हर देश में जगह जगह सफेद रंग के कबूतरों को उड़ाया जाता है सफेद कबूतर उड़ाने की परंपरा बहुत पुरानी है….
क्या इतने मात्र से ही शांति आ जाएगी ….
संसार में जहाँ देखो काम अशांति का हो रहा है और एक दिन सफेद कबूतर उड़ा कर शांति की स्थापना हो जाये ऐसा चाहते है. संसार में शांति की स्थापना व्यक्ति के विचारों में बदलाव आने से ही संभव है .यदि व्यक्ति अपने आवश्यकताओं को जरूरत से ज्यादा न बढ़ाएं तो शांति का रास्ता खुलेगा.

एक व्यक्ति गांव से शहर पढने के लिए आया …. फिर पढ़ते हुए उसे लगा की कुछ काम भी साथ में कर लूँ …. और शहर में ही काम करने लगा और पढाई के साथ साथ काम भी करने लगा …. काम करते करते एक लड़की पसंद आई उससे शादी कर लिया फिर एक किराये पर बड़ा घर लिया … महीने की तनख्वाह है 2000 ओर घर का किराया १० हजार है अब एक गाड़ी भी ईएम. एम.आई . पर ले लिया जिसकी 5 हजार किस्त कटने लगी … अब 5 हजार में घर चलाएगा की बचत करेगा …. क्या करेगा तो पत्नी भी काम करने लगी अब 15 हजार की नोकरी पत्नी करने लगी इच्छाएँ बढ़ने लगी और एक बेटी भी हो गई …. एक अपना घर भी ले लिया और उसकी किस्त जाने लगी …
व्यक्ति पागल होने लगा कि गाड़ी की किस्त , माकन का किस्त , बेटी की पढाई का खर्च , माँ बाप गाँव में है उनको भी ले आया उनकी चिंता…. अब कर्जो में डूबता गया …. रोज झगडे होने लगे और पत्नी ने तलाक की मांग कर दी …. बची को भी ले गयी ….जीवन में अशांति ही अशांति छागई अब चाह कर भी कुछ नहीं कर सकता है ….

हमें समझना होगा की आज गाँव और शहर अलग नहीं रह गए है यदि पढना है तो गाँव में भी पढ़ सकते है तथा पहले एक काम अच्छे से कर ले शादी तो हो जाएगी , आधुनिकता और चकाचोंध की तरफ न भागे मन को शांत रखें जितना आवश्यक है उतने ही साधन जुटाएं गाँव में घर है तो कर्ज लेकर कर शहर में घर लेने की क्या आवश्यकता है…
किसी कवी ने ठीक ही खा है दृ
बढ़ा महत्वाकांक्षाएं मत नींद हराम करो ए सदा जीवन उच्च विचारों को आयाम करो ….

शांति सादगी में है न कि दिखावे में शांति चाहिए तो जो जरुरत नहीं उसके पीछे न भागे और अपने मन को शांत रखें ….
हम अपने विचारों को सकारात्मक बनाएं रखें और अपने इच्छाओं पर नियंत्रण रखें और अपने परम्परा तथा संस्कृति से जुड़े रहे प्रकृति का उपयोग करें दोहन न करे … बाहर से पहले अन्दर से शांत बने तो निश्चित ही विश्व में शांति की स्थापना होगी ।