जिसको देखो वो हर पल किसी न किसी विषय की निंदा करता ही रहता है

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🔸दीपोत्सव विशेष

✒️संजय वर्मा-गोरखपूर,चौरा चौरी(प्रतिनिधी)मो:-9235885830

गोरखपुर(दि.17नोव्हेंबर):- बारे में वो तो ऐसा है , वो तो ऐसा है किसी खेल के बारे में वो ऐसे खेलता तो ऐसा हो जाता …..किसी राजनेता के बारे में की उसने ये काम नहीं किया तो वो नहीं किया..ऐसे व्यक्तियों को किसी भी काम से , किसी भी व्यक्ति से सन्तुष्टि नहीं होती है …..ऐसे ही व्यक्तियों को ही कहते सुना होगा कि आज कल दीवाली पहले वाली नहीं रही ….तुरंत तुलना करने लगते है ….पहले सब अपने बड़ों के पास जाकर आशीर्वाद लेते थे , , पूजा करते थे , साथ मिलकर घी के दिए जलाते थे , पटाखे फोड़ते हुए खुश होते थे , खूब मिठाई खाते थे , साथ बैठ कर खूब बाते करते थे , मस्ती करते हुए दीपोत्सव मानते थे …..

और आज कोई किसी के पास नहीं जाता है , फोन पर ही थोड़ी बाते कर लेते है , मिठाई थोड़ी लाकर फ्रिज में रख देते है , अपने छोटे से घर को थोड़े बिजली के बल्ब लगा कर रौशनी कर लेते है , घर में ही बंद हो कर , सो जाते है बस हो गई दीवाली ……बात तो सही है…..परन्तु आपको किसने बोला की गाँव छोड़ कर शहर आजाओ , काम तो गाँव में भी कर सकते थे , स्कुल तो गाँव में भी है , शांति तो गाँव में ही ज्यादा है , क्यों नहीं जाते बड़ों के पास , क्यों नहीं पूजा करते , क्यों नहीं खुशिया एक दूसरे से बांटते , क्यों नहीं पटाखे फोड़ते, क्यों नहीं मिठाईयाँ बाटते, किसने रोका है ,आखिर क्यों नहीं खुद पहले जैसी दीवाली मानते…..

हम दूसरों पर आरोप लगाते है , दूसरे को सुझाव देते है , दूसरे पर आश्रित रहते है , और सलाह भी देते रहते है …
पहले मज़बूरी थी , पहले परेशानी थी , पहले हम नहीं कर सकते थे ….पर अब तो कोई परेशानी नहीं है , अब तो कोई रूकावट नहीं होनी चाहिए ….हम जहाँ भी रहे आस-पास के लोगों के साथ पर्व त्यौहार मनाये , मिठियां बांटे , पटाखे छोड़े , घी के दिए जलाये …..साथ ही यज्ञ करे और नए अनाज धान की आहुति देवे…. सुख संवृद्धि की प्रार्थना करें ….सकारात्मक रहे …

निंदा करने से बचे , किसी के बारे में बोलने से पहले खुद को देख लेवे कि आप क्या कर रहे है …दीवाली व्यापर करने वालों के लिए नए वर्ष का पर्व होता है ….
सब कुछ नया , नया हो इसकी प्रार्थना करते है ..कुछ तो जुआ भी खेलते है कि धन की वृद्धि हो , ध्यान रहे जुआ खेलना कभी भी सही नहीं है … धन योजना बद्ध मेहनत करके कमाएं …जहाँ है वहीँ खुश रहें …. खुशी हमारे विचारों में होती है …..पर्व नहीं बदलें है , हम बदले है , हम पहले वाले बन कर देखें पर्व भी पहले वाले हो जायेंगे I