मीडीया की जवाबदेही

62

✒️लेखक:-संदिप गायकवाड

आज का मीडीया एक बहोतही मुस्कील कगार पर खडा हैे ।राजकारणी और भ्रष्टाचारके चंगूल मे फसा है ।मीडिया समाज का आयना होता है।पर आज वैही गुलामी के जंजीरो मेे जखडा हुआ है ।देशहीत के बारे मे सोचने वाला पत्रकार कब चाटुगीरी करणे लगा यह उसे समझ मे नाही आया । अपनी वफादारी छोडकर दुसरोंकी बात करणे लगा है। कुछ मीडिया अभी अभी अपनी सच्चाईपर खडे है। लेकिन इसकी संख्या बहुतही कम है।अंग्रेजो के जमाने का मीडिया कभी भी राजकारणीयो के हाथ नही लगा। लेकिन आज का जादातर मीडीया भांडवलदार,भ्रष्टाचारी,पुंजीपती और राजकारणीयो के जाल मे फसा नजर आ रहा है।

मीडीया का सही काम समाज परिर्वतन करना था।अन्याय ,अत्याचार,और भ्रष्टाचार के विरूध्द क्रोध निर्माण करणे का मिशन था।वो मनोरंजन से जादा देशहीत और समाजहीत मे कार्य करताना था। लेकिन आज के मीडीया का मिशन आर्थिक होने के कारण सही प्रत्रकार सही न्युज नही दिखाते । राजकारणी के इशारो पर देश मे बटवॉरा करणे काम आज का मीडीया कर रहा है यह बहोतही दुर्भाग्यपुर्ण है।मीडिया का सही मकसद अशिक्षा,अज्ञान,भुखमरी,बेरोजगारी,भ्रष्टाचारी,अनैतिक मूल्याे का -हास,देश की विषमतापर प्रहार करना होता था |आज यह काम नही हो रहा है|

इसलिए गरीब,किसान, श्रमजीवी,बेरोजगार,इसकी लढाई लढणे के लिए कोई सामने नही आता|अपना काम जमता बाकी कुछ नही करता | यह मुहावरे के साथ आज की पत्रकारीता ऌप्त है|यह देश के सामने गहरा संकट है| वर्ल्ड एसोसिएशन आँफ प्रेस परिषद की इस्तांबूल मे सिंतबर 1998 मे हुई बैठक मे घोषणा की गई की, ,”प्रेस की स्वतंत्रता का मतलब सिर्फ पत्रकारों ,संपादको या मीडिया मालिको की स्वतंत्रता नही है,| बल्कि यह सभी नागरिकों का लोकहीत के विषयोपर सब कुछ जानने का अधिकार है| स्वतंत्र प्रेस का यह मतलब है की वह इस अधिकार का इस्तेमाल जिम्मेदारी के साथ करेगा|प्रेस को सरकार के प्रति नही बल्कि जनता के प्रति जवाबदेह होना चाहिए|” यह घोषणा आज का सारा मीडिया भूल गया है|यह देश के लिए बहोत खतरणाक है|

ज्यादा तर मीडीया गोबेल्स तंत्र का इस्तेमाल करताना है।जो घटना घटी नही उसे रेकार्ड रूम मे बैठकर बनाता है ।बाद मे दर्शको के मस्तिंक मे जखड़ देता है।इसलिए दर्शको की सोच मीडिया की सोच बनती है।फिर समाज मे दरार बढ़ जाती है।आज का मीडिया फेक न्युज का दिनदहाडे इस्तेमाल करताना है ।मालिको के सामने अपने को बेच देता है।लेकिन कुछ पत्रकार स्वाभीमानी होते है,जनता के सामने सच्चाई दिखाते है। इस पत्रकारकार तहे दिल से जनता आभारी है।इस पत्रकारो को अंधःभक्त ट्रोल करते है।लेकिन वो नही डरते इस से कुछ हद्तक मीडिया जिंदा है।

मीडिया भारत का चौथा स्तम्भ है।यह आजा़दी के पहले और आजा़दी के बाद मे भी अपनी सही काम करताना था।समाज को नई रोशनी दिखाता था। अगर आज का यह मीडिया भारतीय लोकशाही प्रति जवाबदेही होगा तो भारत मे नई लहर आ सकती है।लेकिन सारा मीडिया आर्थिक रूप से प्रभावित होणेे के कारण सही कदम नही उठा रहा है। इसलिए उन्हे बेन बेग्डिकियान का संदेश जरुर याद रखणा होगा।वे कहते है की,”मीडिया का कारोबार काफी फायदे मे चल रहा है।और यह चंद ताकतवर कॉरपोरेशन के हाथो मे सिमट गया है।लेकिन सालाना मुनाफे के चमकदार आंकडो और काँरपोरेट वाहवाही के बीच मीडिया के बडे़ हिस्से का देश की जनता की वास्तविकता से संपर्क टूट गया है; जे खतरणाक है।

अगर मीडिया अपने आदर्शो को भुलकर पैसो के खातीर अपनी जमीर बेज़ता है।वो खुद को नही गुलाम करता तो वो आनेवाली दस पिडीयो को गुलाम करता है।उसकी यह हवस देश के संविधानिक ढाचा उध्वस्त कर सकता है ।फेक न्युज को बढावा न देते हुये सही तस्वीर जनता के सामने प्रस्तुत करे सही मीडिया का दायीत्व होना चाहिए।यही सबसे अच्छा पथ है।
🙏धन्यवाद🙏