निरंकारी बाबा का मानवता धर्म !

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(सन्त निरंकारी समर्पण दिवस)

निरंकारी बाबा सन्तशिरोमणि हरदेव सिंह जी महाराज एक अध्यात्मिक सद्गुरु थे, जिन्होंने पूरी दुनिया में अमन और शान्ति का सन्देश दिया।मानवता एवं विश्वबंधुत्व को आगे बढाया। बाबा जीने वर्ष 1980 से लेकर वर्ष 2016 तक सन्त निरंकारी मिशन के प्रमुख पद पर रहकर मानवता की सेवा की और जन जन तक मानव कल्याण का सन्देश दिया। उन्होंने पूरी दुनिया को सन्देश दिया कि मानवता ही हर धर्म का आधार है और मानवता धर्म ही सर्वोपरि है। बाबा जीने दुनिया के सभी इंसानों को एक रंग में रंगने की अमूल्य कोशिश की। उन्होंने सन्त निरंकारी मिशन को सिर्फ देश ही नहीं पूरी दुनिया में फैलाया। सिर्फ मिशन ही नहीं बल्कि ऐसे ऐसे सामाजिक कार्यो में भी समाज की सेवा की। जिनसे इंसानियत जिन्दा हो उठे, विश्वशान्ति प्रस्थापित हो जाये और दुनिया में भाईचारा फ़ैल सके।

निरंकारी बाबा हरदेव सिंह जी महाराज का जन्म दि.23 फरवरी सन 1954 को दिल्ली में पिता बाबा गुरुबचन और माता कुलवंत कौर के घर में हुआ। बाबा जी अपनी चार बहनों के एकलौते भाई थे। उनकी शुरुवाती पढाई रोटरी पब्लिक स्कूल दिल्ली से हुई तथा बाद की शिक्षा पटियाला के यादवेन्द्र स्कूल से हुई। बाबा जी ने दिल्ली यूनिवर्सिटी से उच्च शिक्षा हासिल की। वे बहुत ही सरल और सहज स्वाभाव के धनी थे। उनकी इस सादगी और अध्यात्मिक सोच के कारण उनके परिजन और दोस्त भी भोला कहते थे। घर में अध्यात्म की ज्ञान गंगा बह रही थी। अध्यात्म के इस ज्ञान में डुबकी लगाकर बाबा हरदेव सिंह जीने वर्ष 1971 में निरंकारी सेवा दल में सामिल हुए। उन्होंने लोगों की सेवा करना शुरू कर दिया। दि.14 नवम्बर 1975 को उन्होंने अपने पारिवारिक जीवन की शुरुवात की। निरंकारी भक्तों के परिवार से जुड़ी सुन्दर सुशील और कर्मठ सविन्दर कौर जी को अपने जीवन साथी के रूप में अपनाया। इस तरह से उनके सफ़र में हमसफ़र जुड़ गया और पूरा निरंकारी समुदाय ख़ुशी से झूम उठा।

लेकिन जिस तरह एक सिक्के के दो पहलु होते हैं, उसी तरह जिन्दगी में भी कुछ पता नहीं होता। किस पल ख़ुशियाँ आ जाये और किस पल गमों का पहाड़ टूट पड़े! बाबा गुरबचन सिंह जी के बलिदान से हर तरफ हाहाकार मच गया और एक बोझल सन्नाटा छा गया। इस दुःखमयी घडी से बाबा हरदेव सिंह जी का सद्गुरु बनने का महान सफ़र शुरू हो गया। कितनी भी कठिन परीक्षा क्यों न हो, सिद्ध पुरुष उस पर खरे उतरतेही हैं! बाबा जी के सामने भी ऐसी ही परिस्थिति थी। दि.27 अप्रैल 1980 को साध सांगत की सेवा करने वाले बाबा हरदेव सिंह जी को सद्गुरु का चोला पहना दिया गया और निराश, हताश एवं शोकाकुल दिलो की रहनुमाई सौंप दी गई। बाबा जीने बाबा बूटा सिंह जी के द्वारा शुरू की गई निरंकारी परम्परा के उस वृक्ष को संभाला। जिस पर बाबा अवतार सिंह जी की अवतार वाणी के पुष्प खिल रहे थे, जिसे बाबा गुरुबचन सिंह ने अपने लहू से सींचा था। यह एक कठिन कार्य था, हिंसा के शिकार भक्तो को अहिंसा का ज्ञान देना। आज के ज़माने में जब धर्म के नाम पर अधर्म का बोलबाला और हर तरफ़ अशान्ति के विशाल नाग फ़न लहरा रहे है। बाबा हरदेव सिंह जी के वचनों का अलग ही महत्व है। वे सन्त निरंकारी मिशन के चौथे प्रमुख बने थे। कहते हैं – सम्पूर्ण हरदेव बाणी : पद संख्या 106 – “सेवा सत्संग सुमिरण जो भी प्रेम से करते जाते हैं। कहे ‘हरदेव’ सदा वो कायम भक्ति को रख पाते हैं।।”

बाबा जी हमेशा वसुधैव कुटुम्बकम के उसूलों का प्रचार करते थे। उनका कहना था की इंसानियत ही हर धर्म की बुनियाद और आधार है। यही निरंकार है जो हर इंसान के अन्दर है। इस लिए हर इंसान की कद्र करो और हर इंसान की सेवा करो। निरंकारी समुदाय में हिन्दू, मुस्लिम, सिक्ख, इसाई, बौद्ध जैसे सभी धर्मो के लोग शामिल है, जिनकी संख्या करीब 2 करोड़से भी ज्यादा है। बाबा जीने अपने वचनों और कठिन प्रयासों के बाद आज दुनिया के हर कोने में अपने मिशन के अस्तित्व को स्थापित कर अमन और शान्ति का पैगाम दिया। संत निरंकारी मिशन इंसानों के लिए वो दर है, जहाँ निरंकार परमात्मा को आधार मानकर न कोइ जात-पात देखि जाती है, ना किसी का धर्म देखा जाता है और ना ही किसी की पदवी! बस, एक ही चीज देखी जाती है, तो वो है इंसानियत! कहा भी है – सम्पूर्ण हरदेव बाणी : पद संख्या 239 – “मानवता के बिना कोई भी मानव न कहलायेगा। कहे ‘हरदेव’ मानवता से ही मानव बन पायेगा।”

सद्गुरु बाबा हरदेव सिंह जी के आदेश से निम्न क्षेत्रो में उनके भक्तो द्वारा सेवा की गयी – रक्त दान, वृक्षारोपण, फ्री हेल्थ चेक उप सेवा, स्वच्छता, स्कूल, कॉलेज, आपदा में धन राशी दान, महिला व युवा सशक्तिकरण ऐसे सभी क्षेत्रो में मिशन के द्वारा मुक्त सेवा की गयी। इनको समाज और सरकार द्वारा खूब सराहा गया। ब्लड डोनेशन में निरंकारी मिशन की बहुत बड़ी भूमिका है। जिसको साल 2016 में गिनीज बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकॉर्ड में भी दर्ज किया गया। क्योंकि बाबा हरदेव सिंह जी कहते थे – “खून नाड़ियों में दौड़ना चाहिए नालियों में नहीं।“ सद्गुरु बाबा जी पूरी दुनिया में रह रहे निरंकारी समुदाय तथा सांसारिक लोगो को अमन और शान्ति का पाठ पढाया। लगातार बचपन से दुनिया भर में मानवता का पैगाम पहुँचाया और मिलवर्तन का सन्देश बोया। आज के दिन अर्थात दि.13 मई 2016 को मॉट्रियल कनाडा में एक कार दुर्घटना में इस पंचतत्वों के शरीर को त्याग कर ब्रह्मलीन हो गए। दुनिया में प्यार, विश्वबंधुता, मिलवर्तन, मानवता आदी सिखाने वाले एक मसीहा को अलविदा कहना पड़ा था। क्योंकी “कर्ज चुकाया जा नहीं सकता, हरदेव तेरे अहसानों का!”

निरंकारी बाबा हरदेव सिंह जी का मानव और मानवता को समर्पित जीवन हमें जीवन जीने की, इंसानों से प्यार प्रेम करने की सीख देता है और सभी इंसानों के साथ मिलकर भाईचारे के साथ रहना चाहिए। क्योंकि धर्म के नाम पर यदि हम लड़ने लग जाये, तो फिर हम मंदिर, मस्जिद, भगवान, अल्लाह को भी बदनाम करेंगे। इसलिए यह माने की सभी एक ही निरंकार परमात्मा की संतान है और हम सब एक ही इश्वर के बच्चे हैं। बाबा जी कहते हैं – सम्पूर्ण हरदेव बाणी : पद संख्या 125 – “प्रेम गली में आने वाला जीते जी मर जाता हैं। प्रभु का ऐसा प्रेमी साधो मरकर जीवन पाता हैं।।” धन निरंकार जी!

✒️संकलक व लेखक:-चरणरज : ‘बापू’- श्रीकृष्णदास निरंकारीC/o प.पु.गुरूदेव हरदेव कृपानिवास,मु. रामनगर वॉर्ड नं.20, गढ़चिरोली, जीला – गढ़चिरोली, व्हा.नं. 9423714883.