अमृत महोत्सव अभियान में अनुसूचित जाति के अमर शहीदों को सम्मान मिले !

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रविदास वंशीय समाज का देश की आजादी में बहुत ही महत्वपूर्ण और वीरता का इतिहास है। संत रविदास वंशीय समाज में विभिन्न उपजातिओं का विराट समाज है, जो कि देश के कोने-कोने में जीवन यापन कर समाज को गौरवान्वित किया है। लेकिन दुर्भाग्य है कि हमारे साहित्यकारों के अतिरिक्त अन्य कोई भी उनके इतिहास को जानने, समझने की कोशिश नहीं करते। समाज के सैकड़ों संगठन एवं नेता पंच, सरपंच से लेकर विधायक, सांसद तक समाज के बनें। लेकिन कोई भी संगठन या नेता हमारे देश और समाज के प्रति जान गंवाने वाले योद्धाओं को मान सम्मान नहीं दिलाने में ध्यान पूर्वक मुहिम नहीं चलाई। जिसके कारण मध्यप्रदेश के एकमात्र अनुसूचित जाति के रविदास वंशीय महान पराक्रमी वीर मनीराम अहिरवार जी एवं उनके भाई वीर सैनिक भगतसिंह उर्फ गुनऊ अहिरवार जी की शहादत पर आज तक सम्मान नहीं मिला है।

हमारे देश के महान क्रांतिकारी आजाद हिन्द फौज के संस्थापक नेताजी सुभाष चंद्र बोस की दूरदर्शिता का ही परिणाम था कि उनकी फौज में दलितों को बड़ी संख्या में रखा गया था। नेताजी जानते थे कि बिना सबका सहयोग किये आजादी की लड़ाई नहीं लड़ी जा सकेगी। वह यह भी जानते थे कि असली देशभक्त तो दलित ही है। बस जरूरत है कि इनके स्वाभिमान को जगाने की। अतः उन्होंने दलितों को बड़ी संख्या में फौज में शामिल किया। अतः आजाद हिन्द फौज में चमार जाति की “रविदास वंशीय” क्रांतिकारियों ने स्वतंत्रता आंदोलन में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया।
चमार रेजिमेंट का गठन अंग्रेजी सेना से मुकाबला करने और देश भक्ति के उद्देश्य से चमार रेजिमेंट की स्थापना कैप्टन मोहनलाल कुरील ने की थी। रविदासी कौम बहुत बहादुर थी, जो कि जेल की यातनाओं की परवाह किए बगैर ही अंग्रेजों से लोहा लेने अपनी जान की बाजी लगा कर स्वतंत्रता संग्राम में भारत की लाखों चमार वीरों ने शहादत दी है। लेकिन उनके योगदान और नामों को कभी उजागर नहीं होने से अनेकों वीर शहीदों के नाम इतिहास के पन्नों में दर्ज नहीं हुए है।

मध्यप्रदेश के एकमात्र अनुसूचित जाति के वीर शहीद मनीराम अहिरवार एवं उनके भाई का महत्वपूर्ण संघर्ष के योगदान होने के बाद भी सम्मान से वंचित है ।आज देश की बहुसंख्यक रविदास वंशीय कौम वीर मनीराम जी अहिरवार को राष्ट्रीय शहीद का दर्जा दिलाने की आवाज़ उठाकर सरकार से मांग कर रहे हैं। जो कि सन 19 42 के स्वतंत्रता आंदोलन में अंग्रेजी सेना से युद्ध लडा और उन्हें चीचली गौड़वाना राजमहल की धरोहर बचाकर अंग्रेजी सेना को लहू-लुहान कर विजयी प्राप्त की थी। जिन्हें अभी तक सरकार से न सम्मान और न परिजन की सहायता।यहां उन महान देश वीरों और क्रांतिकारियों की जानकारी दी जा रही है। जो देश की आजादी की लड़ाई में हिस्सा लेते हुए जेलों में गये, यातनाएं भोगी और अपने प्राणों की आहुति दी है। जो सभी चमार जाति (रविदास वंशीय कौम) के है __

# अमर शहीद सम्पत्ति जी – गांव थाना चौरा, गोरखपुर चौरा – चौरी काण्ड में धारा 302 के तहत 1923 में फांसी की सजा।
# क्रांतिकारी अयोध्या जी – गांव मोती पाकड, थाना चौरा जिला गोरखपुर, चौरा – चौरी काण्ड में धारा 302 के तहत 1924 में आठ वर्ष का कठोर कारावास।
# क्रांतिकारी कल्लू जी – गांव गोगरा, थाना झगहा जिला गोरखपुर, चौरा – चौरी काण्ड में धारा 302 के तहत पांच वर्ष की कड़ी सजा।
# क्रांतिकारी गरीब दास जी – गांव रेवती बाजार, थाना गोरखपुर, चौरा चौरी काण्ड में धारा 302 के तहत 19 24 में पांच वर्षों की कड़ी सजा हुई।
# क्रांतिकारी नोहर जी – पुत्र देवीदीन चमार गोरखपुर चौरा चौरी काण्ड में धारा 302 के तहत छैः साल का कठोर कारावास।
# क्रांतिकारी फलई चमार – पुत्र सुमन चमार गांव व थाना चौरा, चौरा चौरी काण्ड में धारा 302 के तहत 1921 में पांच साल की सजा। पहले इन्हें फांसी की सजा सुनाई गई थी। जो बाद में अपील के बाद बदल दी गई।
# क्रांतिकारी बिरजा चमार – सुपुत्र धवल चमार गांव डुमरी थाना चौरा। चौरा चौरी काण्ड में धारा 302 के तहत 1923 में पांच साल की कड़ी सजा।
# क्रांतिकारी मणी चमार – सुपुत्र मुरली चमार गांव डुमरी थाना चौरा। चौरा चौरी काण्ड में धारा 302 के अन्तर्गत 1922 में पांच साल की सजा।
# क्रांतिकारी मेढई चमार – सुपुत्र बुधई चमार, गोरखपुर। चौरा चौरी काण्ड में धारा 302 के अन्तर्गत 1923 में पांच साल की सजा।
# क्रांतिकारी मिठाई चमार – गांव थाना पुरंदरपुर, जिला गोरखपुर ये असहयोग आन्दोलन के दौरान 1921 में तीन साल की जेल।
# क्रांतिकारी मुक्खु चमार – गांव थाना पुरंदरपुर जिला गोरखपुर इन्हें भी 1921 में तीन साल की सजा हुई।
# क्रांतिकारी ठेलू चमार – गांव पुरंदरपुर, गोरखपुर उन्हें 1923 में तीन साल की जेल हुई।
# क्रांतिकारी रामप्रसाद चमार – सुपुत्र कुन्दन चमार गांव निवासी रहीमाबाद, सीलापुर असहयोग आन्दोलन के दौरान 1922 में सात माह की जेल।
# क्रांतिकारी रामप्रसाद चमार – गांव बस्ती डाकखाना रामपुर, आजमगढ़ उत्तरप्रदेश असहयोग आन्दोलन के दौरान 1921 में दो महीने की कड़ी जेल।
# क्रांतिकारी सूरज नारायण चमार – सुपुत्र जगबोध चमार गांव रामगढ़ थाना लम्भुआ, सुल्तानपुर, असहयोग आन्दोलन के दौरान 1921 में एक वर्ष की सजा एवं 100 रुपये का जुर्माना।
# क्रांतिकारी सीताराम चमार – सुपुत्र डल्ला चमार गांव भुइयारिन बगिया, लाल कुआं लखनऊ असहयोग आन्दोलन के दौरान 1921 में नौ माह की सजा एवं 150 रुपये जुर्माना।
# क्रांतिकारी जोधा चमार – सुपुत्र बिन्दा चमार गांव खडउआं मलिहाबाद, लखनऊ असहयोग आंदोलन में 30 जनवरी 19 22 को तीन माह की जेल।
# क्रांतिकारी रघुवर चमार – सुपुत्र हीरालाल चमार, गोरखपुर। सविनय अवज्ञा 19 32 में चार माह की सजा।
# रामदुलारे चमार – सुपुत्र मनराल चमार, गांव नऊआ दुमरी थाना सहजनवा गोरखपुर। सविनय अवज्ञा आन्दोलन 1932 में एक माह की सजा बीस रुपये जुर्माना।
# क्रांतिकारी उमराव चमार – सुपुत्र नायक चमार, गोरखपुर सविनय अवज्ञा आंदोलन 1932 में 16 माह की सजा और 50 रुपये जुर्माना।
# क्रांतिकारी पूरनमासी चमार – सुपुत्र सुपुत्र मदनलाल चमार, देवरिया, उत्तर प्रदेश सविनय अवज्ञा आंदोलन 1932 में एक वर्ष की सजा तथा 50 रुपये जुर्माना, जुर्माना न देने पर 6 माह अतिरिक्त सजा।
# क्रांतिकारी पूरनमल जाटव – सुपुत्र कल्लू जाटव गांव फतेहपुर सीकरी, आगरा सविनय अवज्ञा आंदोलन 1932 में छैः माह की सजा और बीस रुपये जुर्माना।
# क्रांतिकारी विल्लू चमार – शिवराम चमार गांव खुरभर शुक्ल, थाना देवरिया सविनय आंदोलन 1932 में तीन महीने की सजा और 50 रुपये जुर्माना।
# क्रांतिकारी झब्वल रैदास – गांव नवरंगाबाद पोस्ट बिजवा खिरी। नमक सत्याग्रह 1930 में एक वर्ष की जेल।
# क्रांतिकारी भभूति चमार – सुपुत्र नमस्ते बुझावन चमार जिला गोरखपुर अवज्ञा आन्दोलन 1932 में 6 माह की सजा और 50 रुपये जुर्माना।
# क्रांतिकारी अयोध्या चमार – सुपुत्र हुलासी चमार नगला पतीवा बकेवर, इटावा। सविनय अवज्ञा आंदोलन 1932 में छैः माह की सजा तथा 50 रुपये जुर्माना एवं 1941 में व्यक्तिगत आंदोलन में 9 माह की सजा तथा 50 रुपये जुर्माना।
# क्रांतिकारी कमलेश चमार – सुपुत्र घिस्सु चमार गांव बरौली इटावा। सविनय अवज्ञा आंदोलन 1931 में 8 माह की पूर्णिमा सजा।
# क्रांतिकारी घुम्मन चमार – सुपुत्र डुम्मर चमार गांव रायपुर, इटावा। सविनय अवज्ञा आंदोलन 1931 में छैः माह की सजा पचास रुपये जुर्माना।
# क्रांतिकारी धनपत चमार सुपुत्र – जवाहर चमार, नौकापुर अछल्दा, इटावा। सविनय अवज्ञा आंदोलन 1931 में एक वर्ष की सजा और पचास रुपये जुर्माना। जुर्माना न देने पर तीन माह की अतिरिक्त सजा।
# क्रांतिकारी बनवारी चमार – सुपुत्र हरई चमार गांव मीकपुर अजीतमल, इटावा। इस सविनय अवज्ञा आंदोलन 1930 में छैः माह की सजा और 10 रुपये जुर्माना।
# क्रांतिकारी हरदयाल चमार – सुपुत्र चुन्नी चमार गांव अछल्दा, इटावा, सविनय अवज्ञा आंदोलन 1930 में एक वर्ष की सजा तथा 50 रुपये जुर्माना, जुर्माना न देने पर तीन माह की अतिरिक्त जेल।
# क्रांतिकारी रामलाल चमार – सुपुत्र किशोर चमार, चण्डूला विल्हौर, कानपुर। सविनय अवज्ञा आंदोलन 1932 में छैः माह की सजा, 35 रुपये जुर्माना।
# क्रांतिकारी शिवरतन चमार – सुपुत्र झाऊलाल चमार बिछलपुर, हथगांव फतेहपुर। सविनय अवज्ञा आंदोलन 1932 में एक साल की सजा।
# क्रांतिकारी केसरी चमार – सुपुत्र उमराव चमार, गांव मुहल्ला तलैया फतेहगढ, फर्रुखाबाद। सविनय अवज्ञा आंदोलन 1930 में छैः माह की सजा।
# क्रांतिकारी घासीराम चमार – नाजी टोला, कन्नौज, फर्रुखाबाद। सविनय अवज्ञा आंदोलन 1930 में छैः माह की जेल।
# क्रांतिकारी दर्शन चमार – सुपुत्र लोचन चमार, तिलकापुर, कन्नौज नमस्ते फर्रुखाबाद। सविनय अवज्ञा आंदोलन 1932 में छैः माह की सजा तथा 10 रुपये जुर्माना।
# क्रांतिकारी बुलाखी चमार – बैजनाथ चमार जलालाबाद। सविनय अवज्ञा आंदोलन 1930 में आठ माह की जेल।
# क्रांतिकारी रामलाल चमार – सुपुत्र मख्खन चमार, तिरसरा ठठिया, फर्रुखाबाद सविनय अवज्ञा आंदोलन 1931 में तीन महीने की सजा। तथा 1932 में एक माह की पुनः सजा।
# क्रांतिकारी सीताराम उर्फ कालीचरण चमार – सुपुत्र गिरधारी चमार फिरोजपुर, इन्दरगढ, फर्रुखाबाद। सविनय अवज्ञा आंदोलन 1930 में छैः माह की सजा और 25 रुपये जुर्माना।
# क्रांतिकारी सुब्बा चमार – सुपुत्र मंगल चमार, बरगांवपुर सहायगंज, फर्रुखाबाद। सविनय अवज्ञा आंदोलन 1930 में एक वर्ष की जेल।
# क्रांतिकारी हुकुमचंद चमार – रामचन्द्र चमार, फर्रुखाबाद। सविनय अवज्ञा आंदोलन 1932 में छैः माह की जेल और 10 रुपये जुर्माना।
# क्रांतिकारी रमई कुरील – टयला बरौली, डाक राजामऊ, रायबरेली, सविनय अवज्ञा आंदोलन 1932 में छैः माह की सजा।
# क्रांतिकारी भगवत सिंह अहिरवार रेजिमेंट सेना में ही शहीद हुए। निवासी चीचली जिला नरसिंहपुर मध्यप्रदेश (वीर मनीराम अहिरवार जी के छोटे भाई)
# अमर शहीद वीर मनीराम अहिरवार चीचली जिला जिला नरसिंहपुर मध्यप्रदेश जिन्होंने गोंडवाना साम्राज्य के राजमहल की सुरक्षा में सन 1942 के स्वतंत्रता आंदोलन में अंग्रेजी सेना से युद्ध लडा और उन्हें परास्त किया। जिन्हें जिंदा गिरफ्तार कर अंग्रेज गुलामी और बेगारी कराने ले गये। न करने पर अंग्रेजों ने उन्हें अपनी गुप्त जेलखाने में ही दफना दिया था ।

✒️संकलन:-मूलचन्द मेधोनिया(साहित्यकार एवं पत्रकार)चीचली तहसील गाडरवारा जिला नरसिंहपुर मध्यप्रदेश(मो:-8878054839)