“एहसास”

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ऐसा नही होता की चिजें बिखरी हुई हो ,ओर उसे हम ना समेंटे!
जिंदगी वैसे ही है ,जहा दु:ख ,दर्द ,हसना ,रोना,
बस इसे समेंटना (जिना)ही तो है!!

सब अपनी अपनी सोच से जिते है ,
मैं भी जरा अपनी सोंच में जिलू!
चाहे अंजाम कुछ भी हो, मै तो खुब जी लू!!
जिंदगी कि राहपर तु मुझे एकबार भी मील जाए!

मैं समझुगीं मैने सारी जिंदगी जि ली!!
सुख ,दुख ,दर्द कहा दिखते है, हमें तो सिर्फ एहसास होता है!
उसी तरह प्रेम भी अनुभव है,
एहसास हैं,सिर्फ महसूस किया जा सकता है!!

हम तो अपनी ही कल्पना में जिते है, हमे दुनियादारी से क्या वास्ता!
हमने जो पाया हैं, वो तो हमारी कल्पना हैं!!
कल्पना भी सुंदर हो सकती है,जबतक आप उसे दिलमे ना खोजो!
आखिर जिंदगी है ही क्या,अगर उसे अपने मनसे ना जियो!!
बस यह ना कहो , दुनिया क्या कहेगी!
क्योंकी मेरे मन की ताकत ही मेरी कल्पना होगी!!
बस एहसास ही प्यारा अनुभव हैं!!

✒️सुनिता टेंभूर्णे(तुमसर,जि :भंडारा)