मन के दुख को हर कोई नहीं जान सकता

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✒️संजय वर्मा-गोरखपूर,चौरा चौरी(प्रतिनिधी)मो:-9235885830

गोरखपुर(दि.9फरवरी):-अनजान शहरों में बिना आशियाने के पेट और परिवार की खातिर रोजी-रोटी का इंतजाम..!

अनजान शहरों में बिना आशियाने के पेट और परिवार की खातिर रोजी-रोटी का इंतजाम..!

उक्त बातें वरिष्ठ समाजसेवी संजू वर्मा ने अपने आवास सृष्टि रोड वार्ड नंबर 7 मुंडेरा बाजार पर कही l

रात आठ बजे के बाद किसी भी महानगर या बड़े शहर मे शोर से बेफिक्र, फुटपाथों पर सोए सैकड़ों लोग दिख जाएंगे। गांवों और छोटे शहरों में रोजगार की कमी चलते लाखों की संख्या में लोगों का पलायन बड़े शहरों की ओर होता है। ये वे लोग होते हैं जो पैसा कमाने के लिए अपने घर-द्वार छोड़ कर सैकड़ों किलोमीटर दूर खुले आसमान के नीचे सोने के लिए मजबूर हैं।अपने घरों से दूर उनके मन के दुख को हर कोई नहीं जान सकता। वे अपने परिवार की खुशियों के लिए, इन शहरों में अलग-अलग तरह के कामों में अपना श्रम और पसीना बिना किसी गिले-शिकवे के बहा रहे होते हैं।

फुटपाथ पर इन सोने वालों मे वे लोग होते हैं जो दिन के समय सामान ढोते हैं, रिक्शा चलाते हैं, लालबत्ती पर गुब्बारे-खिलौने बेचते होते हैं। ये प्रवासी लोग शहरों के विकास और नव निर्माण मे भी अपना भारी योगदान देते हैं। अनजान शहरों में बिना आशियाने के पेट और परिवार की खातिर रोजी-रोटी का इंतजाम वे दिन में कर लेते हैं तो मजबूरी में फुटपाथ ही रात में इनके सोने की जगह बन जाते हैं।आए दिन नशे में चूर अनियंत्रित वाहन चालकों से इन फुटपाथ पर सोने वालों की मौत की खबरें सचमुच दिल दहलाने वाली होती हैं। इन मौतों पर चंद दिन आंसू बहाए जाते हैं, फिर लोग भूल कर अपनी उसी जिंदगी को जीने में व्यस्त हो जाते हैं।