पुलिस को आपराधिक जांच के दौरान अचल संपत्ति जब्त करने का हक़ नहीं: सुप्रीम कोर्ट

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🔸फिर भी पुलीस घर के लोगो न को धमकीया देकर इमोशनल ब्लाॅकमेल करते है क्यू ???

✒️नई दिल्ली प्रतिनिधी(चक्रधर मेश्राम)

नवी दिल्ली(दि.9एप्रिल):-बॉम्बे हाईकोर्ट ने भी फ़ैसला दिया था कि पुलिस के पास जांच के दौरान अचल संपत्ति को जब्त करने की कोई शक्ति नहीं है. इस आदेश को महाराष्ट्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी.उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को कहा कि दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) के तहत पुलिस के पास आपराधिक मामले की जांच के दौरान घर, भूखंड या जमीन जैसी अचल संपत्तियों को जब्त करने का अधिकार नहीं है.सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर किसी पुलिस अधिकारी को महज अपराध के होने के संदेह के आधार पर अचल संपत्ति जब्त करने की इजाज़त दी जाती है तो इसका मतलब है महज अटकल के आधार पर संपत्ति के स्वामी को बेदखल करने की ‘सख्त और काफी अधिक शक्ति’ देना होगा. प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई, जस्टिस दीपक गुप्ता व जस्टिस संजीव खन्ना की एक पीठ ने कहा कि संदर्भों का जवाब यह कहते हुए दिया जाता है कि संहिता की धारा 102 के तहत पुलिस अधिकारी को कोई संपत्ति जब्त करने की शक्ति में अचल संपत्ति को कुर्क, जब्त या सील करने की शक्ति शामिल नहीं है.

पीठ ने कहा कि संहिता की धारा 102 सामान्य प्रावधान नहीं है जो किसी पुलिस अधिकारी को अचल संपत्ति को जब्त करने का अधिकार दे, जो मुकदमे के दौरान फौजदारी अदालत में उसे पेश करने के लिए पुलिस को अधिकृत करे. लाइव लॉ के मुताबिक यह निर्णय जस्टिस दीपक गुप्ता और संजीव खन्ना की पीठ ने सुनाया. हालांकि पीठ ने स्पष्ट किया कि पुलिस के पास आरोपियों की चल संपत्तियों को फ्रीज़ करने का अधिकार है. सीआरपीसी की धारा 102 पुलिस अधिकारी को किसी अचल संपत्ति से जुड़े दस्तावेज और उसके स्वामित्व से जुड़े दस्तावेजों को जब्त करने से नहीं रोकती है क्योंकि यह जब्त अचल संपत्ति से अलग है.

सीआरपीसी की धारा 102 (1) कहती है कि ‘कोई भी पुलिस अधिकारी किसी भी संपत्ति को जब्त कर सकता है जो कथित रूप से चोरी की हुई या संदिग्ध हो सकती है या जो किसी भी अपराध से जुड़ी होने का संदेह पैदा करने वाली परिस्थितियों में पाई जा सकती है.’बॉम्बे हाईकोर्ट की पूर्ण पीठ ने बहुमत के फैसले में माना था कि पुलिस के पास जांच के दौरान अचल संपत्ति को जब्त करने की कोई शक्ति नहीं है. इसे चुनौती देते हुए महाराष्ट्र राज्य ने सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर की थी. ( साभार द. वायर स्टाप 25, 2019 )