चिमूर में भाजपा की नादानी से कांग्रेस के अच्छे दिन

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🔸”झाडीपट्टी विदर्भ की मिट्टी की खुशबू व मिठास राजस्थानी मारवाड प्रांत से भिन्न है!”

✒️सुयोग सुरेश डांगे(विशेष प्रतिनिधी)मो:-8605592830

चिमूर(दि.17मे):-भारतीय जनता पार्टी का बचपना व नादान हरकतो से चिमूर विधानसभा क्षेत्र मे कांग्रेस के अच्छे दिन आ गये है. यहां का युवा उन्माद अपने प्रतिव्दंदी ने सामने औंछा नजर आ रहा है. एक ओर जहां गरीबी व शुन्य से शुरुआत करने वाले दिवाकर निकुरे अपनी धिमी व योजना बध्द चाल से अपनी पैठ जमाने मे सफल हो रहे है. वही दुसरी ओर भाजपा की उछलकुद व नादानी भरे उत्पात से उनकी नैय्या हिचकोले खा रही है. हाल ही मे हुए ताजा मामले मे भाजपा की नादानी उजागर हुई है. मामला किसी कथीत वायरल पोस्ट का था.भाजपा ने कथीत पोस्ट पर हंगामा कर पार्टी की नाक कटवा दी. थाने में एस.पी.के सामने अपनी नादानी का परिचय दिया.

आई पी एस उम्मीदवार को आमतौर पर इंटरव्यू में पुछा जाता है, किसी नेता ने हंगामा खडा कर कानुन हाथ मे लिया. सरकार उसीकी है. गृहमंत्री का दबाव है, क्या करोगे? उम्मीदवार इस सवाल का जबाब आंखे मे आंख डालकर कह दुंगा की अपने लोगों से कह दो अपने अपने घर चले जाए अन्यथा कानुन को हाथ लेने के जुर्म मे तुम्हे अभी गिरफ्तार कर लूंगा और भिड को भगाना पुलीस के लिये आसान काम है. ऐसे साक्षात्कार के व्हिडिओ युट्युब के शैक्षणीक चॅनल पर उपलब्ध भी है, युवा वर्ग मजे से देखता व सिखता है. इससे बौद्धीक स्तर की पडताल होती है. साक्षात्कार पास कर लेते है. चिमूर मे प्रत्यक्ष देखा. इतना ही नही, मामले के निषेधार्थ दुकाने बंद करवा दी.

जिसमे दुकान मालीको का नुकसान भी किया. लोग समझ ही नही पा रहे थे की यह बाल हट्ट है, स्त्रि हट्ट, या राज हट्ट. गुरु द्रोणाचार्य ने एकलव्य से दाहीने हाथ का अंगुठा मांगा था गुरुदक्षीना मे. गुरु द्रौण जिसने यह कहकर एकलव्य को शिक्षा देने से इंकार किया था की वह शुद्र है. एकलव्य भी बडा अदभुत युवक रहा होगा. उसने तत्क्षण अंगुठा काट कर दे दिया. जानते हुए की अंगुठा कट जाने का अर्थ इतना ही है की उसका धनुष्य विद्या का समग्र ज्ञान खत्म हो जाएगा. शुद्र होने से जब शिक्षा से वंचीत रखा गया तो उसके अहंकार पर चोट तो लगी होगी. उसका खुन खौला होगा. लेकीन एकलव्य बडा अदभूत युवक इसलीये था की उसे क्रोध नही आया. या कहे उसका खुन नही खौला. क्रोध किसी को भी किसी के घर पर हमला करने को मजबूर कर सकता है. एकलव्य हमला करता तो साधारण युवक. दो कौडी का. कोई भी साधारन युवक करता है.

इसमें कोई बडी बात नही. संविधानीक पद पर आरूढ लोकप्रतिनीधीयोने भी हमले किये है. यह इम्याच्युरीटी की अभिव्यक्ती है. हार्मोन की खेलकुद है. सेक्सपिअर की बडी प्रसिद्ध कविता है, ‘सेव्हन एजेस ऑफ मॅन’ जिसमे उन्होने इस उम्र को एज ऑफ एंगर यानी क्रोध करने वाली उम्र कहा है. क्रोध की जड है अहंकार. अहंकार की आड मे निजी धंदे को अंजाम देना चिमूर वासीयो को मंहगा सौदा साबीत हो रहा है. उधर काँग्रेस के दिवाकर निकुरे गरीबी मे जन्मे व झाडीपट्टी मे पले बडे है, उनका कोई अलीशान बाप की परेशान औलाद जैसा इतिहास नही है, मुख्याधिकारी के खुर्शी पर नही बैठना चाहिए इतना अनुशासन भी उनमें दिखता है. मुख्याधिकारी को महाराष्ट्र लोकसेवा आयोग की परिक्षा उतीर्ण करनी पडती है. दसवी के बाद मुक्त विद्यापीठ की डिग्री लेने जितना आसान काम नही. अधिकारी मेहनत का नतीजा है, लोकप्रतिधी पैसो का खेल. लोकतंत्र के चार स्तंभो की अपनी गरीमा है.

आज का सामान्य युवक भी इस तत्थ को भलिभाती जानता है. जिससे लोगों को दिवाकर बेहतर विकल्प दिख रहा है. चुंकी झाडीपट्टी विदर्भ की मिट्टी की खुशबू व मिठास राजस्थानी मारवाड प्रांत से भिन्न है. राजस्थान के पत्थर सजावट की विषयवस्तू मात्र है. गाव मे जाकर गरीबो की कुटीयो का मजाक बनाने से अच्छा है गरीबो को अपने महल मे रहने के लिये आमंत्रीत किया जाए व उनका अतित्थ्य किया जाये. इस विरोधाभास को जरा ठिक से समझना आवश्यक है. सच्चा प्यार वही होता है जहां दुल्हा गरीब व बेरोजगार हो अमीर देखकर तो लोग शादी कर देते है, भक्त भी तयार हो जाते है. यह कहना अतिशयोक्ती नही होगा की भाजपा की नादानी काँग्रेस के लिये अच्छे दिन आने का आगाज है.