यदि रामदास आठवले कुत्ते से भी बदतर जिंदगी जीना चाहते हैं, तो वह जिए… लेकिन हिंद धर्म को एवं भाजपा को मजबूत किए जाने का अंबेडकरवादी रिपब्लिकन नेताओं से आग्रह ना करें

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डॉ बाबासाहेब आंबेडकर द्वारा 14 अक्टूबर 1956 में हिंदू धर्म त्याग कर लाखों लोगों के साथ बौद्ध धम्म की दीक्षा ली गई थी।…,वह पवित्र ऐतिहासिक धम्म क्रांति भूमि दीक्षा भूमि, नागपुर,विजयादशमी पर्व पर मनुवादी सरकार में तथाकथित रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया के नेता एवं भाजपा राज्यसभा सांसद एवं सामाजिक न्याय मंत्री रामदास आठवले ने कहा है, कि डॉक्टर अंबेडकर को हिंदू धर्म को मजबूत करना चाहिए था, परंतु उन्होंने इच्छा के विपरीत बौद्ध धर्म ग्रहण कर लिया। यह बात रामदास आठवले ने एक पत्रकार वार्ता में कही है। उन्होंने कहा है, कि डॉ आंबेडकर के धर्मांतरण के कारण हिंदू धर्म का नुकसान हुआ है। उन्होंने कहा कि रिपब्लिकन पार्टी के अलग-अलग गुटों को एकजुट करने का प्रयास चल रहा है। प्रकाश आंबेडकर, जोगेंद्र कवाड़े और राजेंद्र गवई ने एक साथ आना चाहिए। और एकजुटता के बाद, भाजपा को मजबूत करेंगे। इस पत्रकार वार्ता में हिंदू धर्म के हिमायती रामदास आठवले के साथ समाज के दलाल, गद्दार, हरामखोर भड़वे, संविधान विरोधी, डॉक्टर अंबेडकर विरोधी, रामदास आठवले के तलवे चाटने वाले, बौद्ध धम्म के विनाशकारी एवं बौद्ध भिक्षु का कत्लेआम करने वाले पुष्यमित्र शुंग एवं डॉ अंबेडकर के बौद्ध धम्म के कट्टर विरोधी जगजीवन राम की नाजायज औलाद ,,भूपेश थुलकर, बालू घरडे विनोद थूल, राजन वाघमारे सहित कई अन्य भाड़खाऊ भड़वे उपस्थित थे।

ऐसे ही हरामखोरो के समर्थन एवं सहयोग से रामदास आठवले, डॉ आंबेडकर के मिशन, आंदोलन उनके कारवां को खत्म करने के मनु वादियों के षड्यंत्र में शामिल सफल हुआ है। इन गद्दारों के कारण आज देश का संविधान, लोकतंत्र एवं बहुजन समाज खतरे में आ गया है। धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र को हिंदूराष्ट्र की आड़ में, ब्राह्मणराष्ट्र बनाने का मनवादियों द्वारा षड्यंत्र रचा गया है। ऐसा कर वे बहुजन समाज को फिर से गुलाम बनाकर उन पर राज किए जाने की योजना बनाई गई है। और उस योजना में रामदास आठवले जैसे कई तथाकथित अंबेडकरवादी गद्दार नेता और बौद्ध भिक्षु शामिल है। गगन मलिक जैसे नकली बुद्धिस्ट एवं संघ प्रिय राहुल जैसे नकली बौद्ध भिक्षु के माध्यम से मनुवादी, बौद्ध धम्म, बौद्ध विरासतो को खत्म किए जाने का षड्यंत्र रचे हुए है। वह षड्यंत्र में शामिल रामदास आठवले हिंदू है। और गणेश भगवान का उपासक, उसकी पत्नी ब्राह्मण हिंदू है। और वह दूर दूर तक बुद्धिस्ट और अंबेडकरवादी नहीं है। यदि बुद्धिस्ट अंबेडकरवादी होता तो कभी हिंदू धर्म की हिमायती नहीं करता। वह बौद्ध धर्म की बात करता। और अंबेडकरी विचारों के कट्टर विरोधी भाजपा मनुवाद को मजबूत करने की बात नहीं करता। डॉक्टर अंबेडकर ने येवला नासिक में सन 1935 में घोषणा की थी, कि मैं हिंदू धर्म में पैदा हुआ हूं, यह मेरे बस की बात नहीं थी। परंतु मैं हिंदू धर्म में मरूंगा नहीं, यह मेरे बस की बात है। 1935 में घोषणा किए जाने के बाद डॉक्टर अंबेडकर ने हिंदू धर्म के ठेकेदार शंकराचार्यों को 21 वर्षों का समय दिया था। कि तुम सुधर जाओ। लेकिन हिंदू धर्म के ठेकेदारों शंकराचार्य में कोई सुधार नहीं हुआ।

तब डॉक्टर बाबासाहेब आंबेडकर ने हिंदुओं के जुल्म अन्याय अत्याचार एवं शोषण भेदभाव छुआछूत से तंग आकर हिंदू धर्म को लात मारकर 14 अक्टूबर 1956 को विजयादशमी के दिन नागपुर जहां नागों की बस्ती, उस नागवंशी बौद्धों की बस्ती नागपुर में लाखों लोगों के साथ बौद्ध धम्म की दीक्षा ली थी। और बौद्ध धम्म लिए जाने के पहले, डॉ बाबासाहेब आंबेडकर ने दुनिया के सभी धर्मों का 21 वर्षों तक गहन अध्ययन किया था। तब उन्हें बौद्ध धम्म में मानवता, नैतिकता और वैज्ञानिकता पर खरा उतरते दिखा, तब उन्होंने बौद्ध धम्म को ही स्वीकार किए जाने का निर्णय लिया। डॉ अंबेडकर ने इच्छा के विपरीत बौद्ध धर्म स्वीकार किया यह रामदास आठवले का बयान झूठा है। डॉक्टर अंबेडकर ने पूरी निष्ठा और ईमानदारी के साथ बौद्ध धम्म का चुनाव किया था। और कहा था, कि हिंदू सभ्यता, मानवता को दबाने और मनुष्य को गुलाम बनाने की एक निर्दयी, शैतानी साजिश है। भारत का इतिहास और कुछ नहीं, ब्राह्मण और बौद्धों के बीच का संघर्ष है। मनुस्मृति को रचने का उद्देश्य, बुद्धिज्म के विनाश को उचित ठहरा कर उसके स्थान पर ब्राह्मणवाद को स्थापित करना था। बौद्ध सम्राट बृहदसथ की ब्राह्मण सेनापति पुष्यमित्र शुंग द्वारा हत्या के बाद ब्राह्मणी शासन कायम किया गया था।

इसी ब्राह्मणी शासन को स्थिरता प्रदान करने के लिए मनुस्मृति , और गीता जैसे ग्रंथों की रचना की गई थी। डॉ बाबासाहेब आंबेडकर ने कहा था, मैं बुद्ध को इसलिए अपनाता हूं, क्योंकि बुद्ध ने न स्वर्ग का लालच दिखाया है,न नर्क का डर,, वह खुद को न भगवान बताते हैं, ना मुक्तिदाता, वह सिर्फ अपने को मार्गदाता बताते हैं। इसलिए मैं बुद्ध धम्म को स्वीकार किया हूं। डॉ बाबासाहेब आंबेडकर ने हिंदू धर्म को नर्क कहा था। और बौद्ध धम्म ग्रहण किए जाने के बाद कहा था, आज मेरा पुनर्जन्म हो गया। इतना जानने के बाद यदि कोई व्यक्ति यह कहे कि डॉक्टर अंबेडकर ने अपनी इच्छा के विपरीत हिंदू धर्म त्याग कर बौद्ध धम्म स्वीकार किया है, तो उसके जैसा जाहिल नालायक और बेवकूफ व्यक्ति दुनिया में और कोई नहीं हो सकता। डॉक्टर अंबेडकर ने कहा था, यदि हिंदूराष्ट्र हकीकत में बनता है, तब वह मुल्क के लिए सबसे बड़ा अभिशाप होगा। हिंदू कुछ भी कहे, हिंदू धर्म, स्वतंत्रता समानता एवं बंधुत्वता के लिए खरा नहीं उतरता। इस आधार पर लोकतंत्र के साथ मेल नहीं खाता।….हिंदूराज… को किसी भी कीमत पर रोकना होगा। रामदास आठवले जैसे जाहिल मनुवादियों के गुलाम, मनुवाद और भाजपा को मजबूत किए जाने रिपब्लिकन पार्टी के / अंबेडकरवादी नेताओं को संगठित किए जाने का प्रयास कर रहे हैं। और हम रामदास आठवले का जनाजा अर्थी उठाने की तैयारी कर रहे। इस हरामजादे की अर्थी उस समय भी उठ जाती। जब मुंबई में अंबेडकरवादी नौजवानों ने इसे नंगा कर घसीटते हुए पीटा था।

इस बेईमान गद्दार रामदास आठवले ने दलित पैंथर की स्थापना भी हिंदू धर्म की जड़े मजबूत किए जाने की मंशा से ही की थी। और मनु वादियों के इशारे पर की थी। और राजा ढाले, अरुण कामले, नामदेव धसाल जैसे स्वयंभू अंबेडकरवादियों ने कट्टर हिंदुत्ववादी शिवसेना से सांठगांठ कर दलित मूवमेंट अंबेडकरवादी आंदोलन को कमजोर, खत्म किए जाने का पाप किया है। दलित नेता एवं भाजपा से राज्यसभा सांसद रहे नारायणसिंह केसरी कहते थे, भाजपा,,, दलित कुत्ता पालती है, और उसका मुंह भोकने के लिए कांग्रेस की ओर रखती है, और दूम अपनी ओर हिलाने,, राजरत्न आंबेडकर ने कहा है, कि रामदास आठवले की हालत कुत्ते जैसी हो गई है। ऐसे ही रामदास आठवले की दुर्गति लाचारी है। इसलिए वह कुत्ते से भी बदतर जिंदगी जी ने मजबूर है। वह हिंदू धर्म में ही मरना चाहता है। लेकिन जब यह हिंदू धर्म में मरेगा तो कोई मोहन भागवत ब्राह्मण इसके अर्थी को कंधा नहीं देगे। कोई हाथ तक नहीं लगाएगा। क्योंकि वह दलित है, अछूत है। क्योंकि इसके छूने से ब्राह्मण हिंदू धर्म कलंकित एवं और पवित्र हो जाएगा। महाड तालाब में कुत्ते बिल्ली पानी पी सकते थे, लेकिन रामदास आठवले और उसके समाज के अछूत लोग पानी को छू नहीं सकते थे। दलितों को पानी पीने की मनाई थी। क्योंकि मनुवादी हिंदू, अछूतों, दलितों को, कुत्ते बिल्ली से भी बदतर समझते थे।

यदि रामदास आठवले को कुत्ते बिल्ली से भी बदतर जिंदगी जीना है, तो वह बेशक हिंदू धर्म में रहे, और मनुवाद भाजपा की जड़े मजबूत करने का पाप करें। लेकिन रिपब्लिकन पार्टी के नेताओं को अंबेडकरवादियों को, भाजपा को मजबूत किए जाने संगठित होने की अपील न करें। डॉ बाबासाहेब आंबेडकर ने कहा था, यदि कोई तुम्हें अपने महलों में बुलाता है, तो खुशी से जा सकते हो। परंतु अपनी झोपड़ी में आग लगा कर मत जाना। क्योंकि किसी दिन तुम्हारा उस राजा से झगड़ा हो गया और तुम्हें उसने लात मारकर अपने महल से निकाल दिया, तो तब तुम कहां रहोगेॽ बिकना ही चाहते हो तो स्वयं बिक जाओ। परंतु संगठन को बेचने की कोशिश मत करना। अंबेडकर राइट्स राउंड टेबल कॉन्फ्रेंस एक्शन कमेटी आफ इंडिया,,, समाज के दलाल, बिकाऊ नेता / अविभाजित रिपब्लिकन नेताओं को एक मंच एक रास्ते पर लाने कोई भी कदम उठाने के लिए तैयारी कर रहे। हम देश को और संविधान को बचाने कोई भी कदम उठाने के लिए तैयार है। मनुवाद के दलालों, भड़वो सतर्क हो जाओ,,, और अंबेडकरवादी विचारधारा के तहत संगठित हो जाओ, अन्यथा भागने का वक्त नहीं मिलेगा। जिस मंच पर जाओगे जहां जाओगे वहां तुम्हें नंगा कर भगाया जाएगा।

✒️विजय बौद्ध(संपादक दि बुद्धिस्ट टाइम्स,भोपाळ,मध्यप्रदेश)मो:-9424756130