वेद मंत्रों में अंतरिक्ष तथा पृथ्वीआदि की रक्षा का संदेश है। पृथ्वी दिवस पर मुरलीमनोहर व्यास का प्रतिपादन

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चंद्रपूर : पृथ्वी दिवस का घोष वाक्य है ” पृथ्वी को स्वच्छ करें, ताकि वह फिर से सांस ले सके।” जानवरों को भी घर चाहिए, जंगल मत काटो । हरे रंग की ओर बढें, काले बादल छोडना बंद करो। यही बात हमारे वेद मंत्रों में कही है , पूजा- पाठ, आनुष्ठानों में पंडितजी मंत्र पढते है – ओम द्यौ: शांति अंतरिक्ष शांति,पृथिवी शांति र औषधय शांति र वनस्पतय: शांति — अर्थात अंतरिक्ष, पृथ्वी, वनस्पतियां आदि सभी शांत अर्थात सुखी हो। इस के लिए प्रत्येक व्यक्ति ने सतर्क रहना चाहिए। इन सभी की रक्षा करनी चाहिए। ऐसे विचार चंद्रपुर के आध्यात्मिक चिंतक तथा साहित्यकार मुरलीमनोहर व्यास ने प्रतिपादित किये।
सर्वश्रेष्ठ ज्ञानपिठ सेवा प्रतिष्ठान चंद्रपुर द्वारा 22 अप्रैल को आयोजित पृथ्वी दिवस पर आप बोल रहे थे।
व्यासजी ने कहा जागतिक पृथ्वी दिवस का प्रारंभ 22 अप्रैल 1970 से हूआ। शांति कार्यकर्ता जान मैकनोनेल ने सन 1969 में आयोजित समारोह में पृथ्वी दिवस मनाने का विचार व्यक्त किया। इस का उद्देश पृथ्वी पर शांति बनाये रखना और पृथ्वी का सम्मान करना तय हुआ। 22 अप्रैल 1970 को अमेरिका में पहला पृथ्वी दिवस मनाया गया। आज 193 से भी अधिक देशों में पृथ्वी दिवस मनाया जा रहा है।
वर्ष 2024 का जागतिक पृथ्वी दिवस का घोष वाक्य है — ” ग्रह बनाम प्लास्टिक ” । आने वाली पिढीयों के लिए प्लास्टिक मुक्त भविष्य निर्माण करना।
स्कुलों में पृथ्वी दिवस आयोजित कर बाल मनों में पृथ्वी की सुरक्षा की भावना स्थापित की जा रही है, जो सार्थक निर्णय है।
व्यासजी ने कहा पृथ्वी , अंतरिक्ष और वनस्पतियों की शांति के लिए, इन्हें बचाने के लिए हम सभी अपनी ओर से अनेक कदम उठा सकते हैं। हम जल नियोजन करें, जल की बर्बादी रोकें । भूगर्भ का जलस्तर बढाने का प्रयास करें। भूगर्भ के जल को हिसाब से निकालें। पर्यावरण की रक्षा के उपाय करें। अपने खेतों, घरों के आस-पास छोटे बड़े पेड पौधे लगाकर हरियाली बढावें। अपने घरों की छत पर टेरेस गार्डन बनावे, जिससे हरियाली के साथ-साथ आपके घर के भितर का तापमान नियंत्रित रहेंगा। सरकार प्रदुषण फैलानेवाले उद्योगों पर नियंत्रण लगावें। इलेक्ट्रिकल वाहनों का अधिक प्रयोग करें।
व्यासजी ने कहा, हमारे शास्त्रों ने हजारो वर्ष पहले ही लिखा है कि, सूर्य के तापमान की तिव्रता बढने से पृथ्वी नष्ट हो जावेंगी। आज विज्ञान भी यही बात कह रहा है। हमारे शास्त्रों में कहा है, पृथ्वी का अनावश्य दोहन मत करो । पेड पौधे लगाओ, अनेक पेडों की पूजा भी की जाती है। वृक्षों की रक्षा करो। पेड तोडना हत्या करने जैसा पाप कर्म है। यही बात विज्ञान भी कह रहा है जिससे पृथ्वी और पर्यावरण की रक्षा होंगी। आईये हम सभी अपना थोडासा योगदान देकर पृथ्वी को बचाने के लिए प्रयास करें । ऐसा संकल्प पृथ्वी दिवस पर लें।