आझाद की आत्मकथा

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मैं पचास सालसे कांग्रेस में कार्यरत हूं.इतना घुलमिल गया कि मेरी शादी में इंदिरा गांधी आयी थी.मानो मैं गांधी नेहरू खानदान का ही जवान हूं.मेरा स्वभाव,मेरा कार्य ,मेरी कांग्रेस प्रती निष्ठा देख मुझे कश्मिरसे नहीं महाराष्ट्र से एम पी चुना गया.कमाल था,मुझे मराठी भाषा बोलने नहीं आती.कुछ कुछ समझने आती थी.उमेदवार हिंदीमे और मतदार मराठी मे.ये इंदिराजी की कृपा.वो जमाना था, कांग्रेस का गधा भी उमेदवार रहा तो भी लोग मतदान करते थे.चुनकर लाते थे.मै गधा तो नहीं, अनजाना इन्सान भी लोगो ने चुना.मेरा स्वभाव बहुत ही शांत.कभी किसी पर आरोप नहीं,किसी से बहस नहीं.जो काम सौपा वही किया.मगर आज कुछ सत्य बताना चाहा तो उसे आरोप माना गया.मेरा घर कांग्रेस मेरे सामने ढह रहा है. क्या करू?कुछ तो कहना होगा ?कूछ तो करना होगा?ना कह सकता.ना कर सकता.तो मेरा अस्तित्व नहीं रहा.

मैने कांग्रेस क्यो छोडी?किसी ने पूछा भी नहीं कि,भाई,तुम्हारी तकलिफ तो बताओ.हो सके तो. हल निकाला जा सकता.मगर,नो क्वेशन.नो रिस्पॉन्स.अगर मैं चुपचाप कांग्रेस छोड दूं तो मुझपर आरोप लगते कि भाजपने कुछ लालच दी होगी. इतने साल मैं तुम्हारा बनकर रहा.फिरभी नहीं पहचाना.इसलिये कुछ कहना पडा”कहूं तो कहा न जाएं,ना कहूं तो मार खाएं “क्या आपको लगता है कि, कांग्रेस छोडनेमें मुझे खुशी होती होगी?गलत सोच रहे हो.मै बहुत दुखी हूं.इस उम्र में आंसू बहाना भी ठिक नहीं.इसलिये मेरा दुःख का पता नहीं चला .कैसे चलेगा?जब मैं कांग्रेस में था.अनुभव और उम्र के नाते कुछ सुझाव देता रहा. तो भी बुरा मान लिया गया.घरके बुजुर्ग को किनारे कर दिया.घुटन हो रही थी.बोलू तो, कौन सुनेगा?अगर कोई सुनता ही नहीं तो बोलू क्यो?

किसी ने कहा कि, कांग्रेस ने आझाद को इतना कुछ दिया तो अब नये नेताओका मार्गदर्शक बन काम करते.सही कहा.कांग्रेस ने बहुत कुछ दिया.अहसान मानता हूं.मगर मेरी कोई सुने तो मैं मार्गदर्शन करू.
मेरे पहले जिन्होने कांग्रेस छोडी.तब मुझेभी ऐसा लगा था.गलत किया.नही छोडनी चाहिए थी कांग्रेस.बहुत अहसान किया है, कांग्रेस ने.अब ऋण फेडनेका वक्त था.ऐसे समय कांग्रेस छोड जाना उचित नहीं.तब. वो गलत थे और मैं सही था.अब अहसास हुआ,वो सही थे और मैं गलत सोच रहा था.अब मुझे गलत माना जा रहा है.जो कांग्रेस में है वो स्वयंको सही समझ रहे है.नही.आप भी सही नहीं हो.पता चलेगा,जब मेरी जैसी दुविधा होगी.

कांग्रेस में था तब और कुछ दुःख था.उस दुखको भुलने मैने कांग्रेसका त्याग किया.इस वक्त बहुत दुःख हुआ.उंगली का दर्द कम करने पैर काटना.कैसे कम होगा दर्द?इस दर्द को भुलने मैं मेरे जैसे दर्दी ढुंढ रहा हू.शायद उन्हे देख मेरा दर्द भुल जाऊं.आप लोग कांग्रेस में बने रहो.कुछ कमीयां ,त्रुटीयां मैने बताई.शायद बदल हो.और कांग्रेस फिरसे उभरे. आपका भाग्य खुले.मै दूरसे देखता रहूं.कहूंगा,ये मेरे त्याग का नतीजा है.तब मुझे खुशी होगी.

✒️शिवराम पाटील(९२७०९६३१२२)महाराष्ट्र जागृत जनमंच जळगाव