*छग में मनरेगा में केवल 20% रोजगार सृजन, किसान सभा ने जताई चिंता, कहा : बजट आबंटन में कटौती का परिणाम

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✒️रायपूर(पुरोगामी न्यूज नेटवर्क)

रायपुर(दि.12ऑक्टोबर):- अखिल भारतीय किसान सभा से संबद्ध छत्तीसगढ़ किसान सभा ने प्रदेश में मनरेगा में रोजगार के स्तर में भारी गिरावट पर चिंता व्यक्त की है तथा इसे बजट आबंटन में कटौती का परिणाम बताया है।

आज यहां जारी एक बयान में छत्तीसगढ़ किसान सभा के अध्यक्ष संजय पराते तथा महासचिव ऋषि गुप्ता ने कहा है कि प्रदेश में इस वित्तीय वर्ष के पहले 6 महीनों में लक्ष्य का केवल 20% मानव दिवस रोजगार ही सृजित किया गया है, जबकि पिछले वर्ष कुल 11.65 करोड़ मानव दिवस रोजगार सृजित किया गया था तथा लगभग 32 लाख ग्रामीण मजदूरों को काम दिया गया था। वर्ष 2020-21 में 18.41 करोड़ मानव दिवस रोजगार सृजित किया गया था। मनरेगा की सरकारी गति को देखते हुए अब इन आंकड़ों को छूना भी मुश्किल है।

उन्होंने कहा कि यह परिणाम मनरेगा के बजट में बड़े पैमाने पर कटौती के कारण हैं।कांग्रेस सरकार द्वारा लक्ष्य को हासिल करने की ‘जुमलेबाजी’ भर की जा रही है, क्योंकि पिछले वर्ष के स्तर पर ही रोजगार पैदा करने के लिए पर्याप्त फंड और संसाधन नहीं है। इससे प्रदेश में सूखे और अतिवर्षा की मार झेल रहे ग्रामीण मजदूरों की आजीविका तथा जीवन स्तर में और गिरावट आएगी।

किसान सभा नेताओं ने कहा कि मनरेगा ही ऐसी योजना है, जो ग्रामीणों मजदूरों को भूखमरी से बचाने में मददगार होती है। इसके चलते मजदूरों की सामूहिक सौदेबाजी की ताकत भी बढ़ी है तथा अन्य कार्यों में मजदूरी भी बढ़ी है। लेकिन इसके लचर क्रियान्वयन से अब मजदूरों की रोजी-रोटी खतरे में पड़ गई है और पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष लोगों के पलायन की ज्यादा संभावना है। इसे रोकने के लिए ग्रामीण मजदूरों को मनरेगा में काम उपलब्ध कराने की जरूरत है।