स्वरचित काव्य – सत्यं वदं प्रियं वदं!

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जप निरंकारी ब्रिद |
सत्यं वदं प्रियं वदं |धृ|

आहे मिशन सत्याचं |
सदा सत्यच पेरतं |
तया संगं बोल प्रेमाचं |
ओठी येतं अलगद |१|

ऐसा गुरू सत्य आहे |
देई जगी सत्य ज्ञान |
तेणे सत्य वाणी वाहे |
पोटी ओठी गोड शब्द |२|

घरी दारी गाव शहरी |
नित्य चाले सदाचार |
जैसा नाचे संती हरी |
गमे आनंदी आनंद |३|

संत संग नोहे खोटे |
वागू नको खोटे नाटे |
पायी पाडू नको गोटे |
लोकी ठर तू वरद |४|

सत्य आणि गोड वाणी |
सृष्टी शांत येता पाणी |
श्रीकृष्णदासा हो ऋणी |
गुरू चरण सुखद |५|


✒️संतचरणरज:-श्रीकृष्णदास (बापू) निरंकारी.द्वारा- प.पू. गुरूदेव हरदेव कृपानिवास,मु. रामनगर वाॅ.नं-२०, गडचिरोली.फक्त व्हॉट्सॲप- ९४२३७१४८८३