बौद्ध धम्म की सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करना समय की मांग है – आशिक रामटेके

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✒️सुयोग सुरेश डांगे(विशेष प्रतिनिधी)

चिमूर(दि.31ऑक्टोबर):-वर्तमान वैश्विक युद्धजन्य समग्र स्थिति, कट्टरता, युवाओं की लत और अवसाद की प्रवृत्ति को देखते हुए, जीवन का एक सफल तरीका खोजने के लिए तथागत की धम्म शिक्षा के अलावा कोई विकल्प नहीं है। बौद्ध पंचकमीटी के सचिव आशिक रामटेके ने जेतवन बुद्ध विहार, मालेवाड़ा तालुका चिमूर में अशोक विजयादशमी दिवस कार्यक्रम के दौरान बौध्दजनोंको संबोधित किया।

रामटेके ने आगे कहा कि बौद्ध धम्म में महत्वपूर्ण आयोजन और त्यौहार धम्म की सांस्कृतिक विरासत हैं और इसे संरक्षित करना सभी का कर्तव्य और समय की आवश्यकता है। इस अवसर पर तथागत बुद्ध, प्रियदर्शी सम्राट अशोक, बोधिसत्व डाॅ. बाबा साहेब अम्बेडकर की छवियाँ गणमान्य अतिथियों द्वारा अभिवादन कर, त्रिशरण पंचशील ग्रहण किया गया।

इस अवसर पर गंगाधर गजभिये, ईश्वर ठवरे, मारोती बहादुरे, भाऊराव गजभिये, दादाजी रामटेके, प्रदीप मेश्राम, विलास मेश्राम, राजेंद्र गजभिये, योगेश मेश्राम, नीलेश मेश्राम, प्रशिक बहादुरे, भीमाबाई गजभिये, काजल ठवरे, वंदना मेश्राम, रत्नमाला भीमटे, संघमित्रा मेश्राम, विद्या रामटेके, शोभा चव्हाण, शोभा गजभिये, सत्यफुला चव्हाण, शांताबाई रामटेके, भावना शेंडे आदि सहित क्षेत्र के विभिन्न समुदाय के सदस्य उपस्थित थे।