नोटबंदी के पक्ष में तब जो तर्क दिए गए थे और जो वादे किए थे,क्या वे पूरे हुए?

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✒️संजय वर्मा-गोरखपूर,चौरा चौरी(प्रतिनिधी)मो:-9235885830

गोरखपुर(दि.9नोव्हेंबर):-उक्त बातें मुंडेरा बाजार कांग्रेस नगर अध्यक्ष संजू वर्मा सृष्टि रोड वार्ड नंबर 6 अपने आवास पर कहीI
साल पहले यानी आठ नवंबर, 2016 को प्रधानमंत्री ने देश में नोटबंदी का एलान करते हुए पांच सौ और एक हजार रुपए के नोटों की वैधता को खत्म कर दिया था ।

नोटबंदी के इस फैसले भारत की अर्थव्यवस्था को लंबे समय के लिए बीमार कर दिया,आज भी गरीब लोग सरकार के इस अपरिपक्व फैसले की मार झेलने को मजबूर हैं! नोटबंदी के वक्त सरकार ने पुराने नोटों की जगह नए नोट जारी करने के लिए भी कोई अग्रिम तैयारी नहीं की गई थी, हैरानी की बात तो यह कि इतने बड़े फैसले के लिए रिजर्व बैंक तक को अंधेरे में रखा गया!

नोटबंदी को चार साल पूरे हो चुके हैं, और इन चार सालों में अर्थव्यवस्था गहरे संकट में फंस गई है,नोटबंदी के कारण असंगठित क्षेत्र तो पूरी तरह से तबाह हो चुका है। सवाल तो यह है कि कालेधन के नाम पर इतनी बडी कुरबानी देने के बाद आखिर देश को क्या हासिल हुआ! नोटबंदी के पक्ष में तब जो तर्क दिए गए थे और जो वादे किए थे, क्या वे पूरे हुए? क्या आतंकवाद मिट गया?

क्या नकली नोटों का व्यापार बंद हो गया? क्या काला धन सामने आ गया?सरकार ने काला धन समाप्त करने के नाम पर नोटबंदी के जरिए उन सभी लोगों को गर्त में धकेल दिया जिनके पास नगदी थी और इनमें अधिकांश लोगों के पास वास्तव में कालाधन निकला ही नहीं,हा जो महिलाओ बच्चियों ने अपने भविष्य के लिए जोड़ जोड़ कर व घर के खर्चो से बचाकर जोड़े थें ।

वही भी इस नोट बंदी के चक्कर मे चलेगये उन महिलाओं या बच्चियों से पूछो की इस नॉट बंदी का उनपर क्या असर हुआ, दूसरी ओर सरकार जानबूझ कर उन लोगों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं कर रही जो गले तक काली कमाई पैदा करने में लिप्त हैं! और जिनके पास काली संपत्ति का अकूत भंडार है..!!