किसानों को हो रही समस्या से कैसे मिले छुटकारा!

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🔸छुट्टा बड़ा जानवर घूम-घूम कर कर रहा फसलों को खराब..!

🔹बढ़ता शहरीकरण भी खेती पर डाल रहा असर..!

✒️संजय वर्मा-गोरखपूर,चौरा चौरी(प्रतिनिधी)मो:-9235885830

गोरखपूर(दि.18नोव्हेंबर):-उक्त बातें चौरी चौरा मुंडेरा बाजार कांग्रेस नगर अध्यक्ष संजू वर्मा ने अपने आवास सृष्टि रोड वार्ड नंबर 6 पर कही ।हम सभी जानते हैं कि भारतीय अर्थव्यवस्था में खेती का प्रमुख स्थान है और इसी कारण इसे कृषि प्रधान देश कहा गया है। आए दिन किसानों के लिए तरह-तरह की समस्याएं मुंह बाए खड़ी रहती हैं। वैसे भी हमारे देश की खेती को ‘मानसून के साथ जुआ’ कहा गया है!खेती अब परंपरागत नहीं रह गई है।
हल-बैल लगभग गायब हो चुके हैं,आगे आने वाली पीढ़ी किताब में चित्रों के माध्यम से हल-बैल जानेगी,तरह-तरह के कीटनाशक और उर्वरक खेती मे प्रयोग हो रहे हैं, खेती करने में लागत भी काफी आने लगी है कभी बाढ़ तो कभी सूखा और दूसरे अन्य बहुत से कारण जिसके चलते छोटे किसानों की कमर वैसे ही आमतौर पर टूटी रहती है, बढ़ते शहरीकरण ने भी खेती पर असर डाला है।

इधर कुछ वर्षों से हमारे अन्नदाता के सामने एक अलग तरह की समस्या पैदा हो गई है, जिसके कारण उन्हें परेशानी के साथ-साथ आर्थिक नुकसान भी हो रहा है। हुआ यह है कि पहले हल-बैलों के चलते गायों के बछड़े खेती के काम आ जाते थे, जिसे किसान जुताई के काम में लाते थे। अब जुताई का काम ट्रैक्टर से होने के कारण बछड़े या बैल बेकार हो गए हैं। जैसे ही गाय दूध देना बंद करती है, इन बछड़ों को लावारिस छोड़ दिया जाता है।

बछड़ों को खुला छोड़ देने का परिणाम यह हो रहा है कि ये हरी-भरी खेती को चर कर साफ कर दे रहे हैं।
बहुत से किसान अब खेतों के चारों तरफ कंटीले बाड़ लगा रहे हैं, जिसमें काफी खर्चा भी आ रहा है और जो किसानों के लिए ठीक नहीं। कुल मिला कर देखा जाए तो किसान पहले से ही बहुत अच्छी हालत मे नहीं थे और अब यह नई समस्या बन आई है।

सरकार ने गौशाला वगैरह बनवाई है लेकिन फिर भी किसान परेशान हैं, लेकिन ये छुट्टा जानवर जो घूम-घूम कर फसलों को चट कर जा रहे हैं, इनको कैसे रोका जाए? जाहिर है, इसके लिए कुछ बहुत ही जरूरी कदम उठाने की जरूरत है, ताकि हमारे देश के अन्नदाता की समस्या का अंत हो सके और उनके चेहरे पर मुस्कान बनी रहे।