भ्रष्टाचारियों को संरक्षण और भ्रष्टाचार को बढ़ावा..!!

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🔹गोरखपुर चौरी चौरा मुंडेरा बाजार सृष्टि रोड वार्ड नंबर 6 से संवाददाता संजय वर्मा की खास रिपोर्ट

✒️संजय वर्मा-गोरखपूर,चौरा चौरी(प्रतिनिधी)मो:-9235885830

गोरखपूर(दि.2नोव्हेंबर):-उक्त बातें मुंडेरा बाजार कांग्रेस नगर अध्यक्ष संजू वर्मा ने मुंडेरा बाजार अपने आवास पर कही I
किसी एक महान व्यक्ति ने एक बार कहा था कि हमारा देश एक समृद्ध देश है, लेकिन यहां की जनता गरीब है। अफसोस की बात यह है कि यह कथन आज भी प्रसांगिक बना हुआ है। कहा जा सकता है कि हमारे देश ने विगत वर्षों में आर्थिक स्तर पर व्यापक विकास किया है, लेकिन एक कटु सत्य है कि बढ़ते भ्रष्टाचार ने देश को गरीबी के गर्त में और धकेला है।
देश एक लोकतांत्रिक देश है, जहां सरकारें व्यापक स्तर पर कल्याणकारी योजनाओं को लागू करती हैं।

लेकिन इन योजनाओं को सफल बनाने में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका सरकारी संस्थानों की होती है और इनमें बैठी नौकरशाही इसका संचालन करती है। अफसोसजनक स्थिति यह है कि भ्रष्टाचार की गिरफ्त में आए लोग ही भ्रष्टाचार को दूर करने के लिए काम में लगाए गए हैं। भारत जैसे देश में भ्रष्टाचार के लिए कई कारण जिम्मेदार हैं। मसलन, प्रशासन में पारदर्शिता, जवाबदेही, निष्पक्षता, संवेदनशीलता आदि गुणों का क्षरण होना दूसरा कारण है।राजनीतिक और प्रशासनिक, दोनों ही स्तर पर व्यापक भ्रष्टाचार तीसरा कारण है।

केंद्र्रीकृत प्रणाली का दिन-प्रतिदिन विस्तार होना और भ्रष्टाचार के लिए बनाए गए कानूनों के लागू होने में ढीलापन अन्य महत्त्वपूर्ण कारण हैं। इसके अलावा, नागरिक और सरकारी कर्मचारियों, दोनों के ही द्वारा कानूनों का अनुपालन नहीं होना भी भ्रष्टाचार को बढ़ावा देता है।अब वक्त आ गया है कि सरकारों को भ्रष्टाचार पर नकेल कसने के लिए व्यापक स्तर पर मंथन करना चाहिए और इससे संबंधित कानूनों का फिर से निरीक्षण करना चाहिए। सरकार पहला कदम उठाए कि भ्रष्टाचार की रोकथाम के लिए बने कानूनों को सख्ती से लागू करवाए।
दूसरा उपाय यह हो कि आरटीआइ कानून में जरूरी सुधार करके इसे और मजबूत बनाया जाए और इसके उपयोग को बढ़ावा दिया जाए।

कुछ दुरुपयोग हो सकता है, लेकिन यह कानून अपने आप में भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने का लगाने का सबसे बड़ा हथियार साबित हो सकता है।सरकारी संस्थाओं का राजनीतिकरण नहीं होने देना सबसे जरूरी है, ताकि वे भ्रष्टाचारियों को संरक्षण और भ्रष्टाचार को बढ़ावा न दे सकें। फिर शिकायतों से संबंधित जटिल नियमों को और सरल बनाने की जरूरत है, ताकि आमजन भ्रष्टाचार के खिलाफ शिकायत करने में सहज महसूस करे।